Thursday, February 12, 2009

सड़क किनारे भीख मांगते बच्चे जो दिखते हैं सारे

सड़क किनारे भीख मांगते बच्चे जो दिखते हैं सारे
जाने कब? कैसे निकलेगे? इस दलदल से तारे

भीख मिलेगी ज्यादा क्या? इसलिए बेचारे रोते
सुबह-रात हो सभी दीखते जाने कब ये सोते

जाड़ों की भीषण रातों में सदा उघारे रहते
गर्मी अब आयेगी तब ये मैला कोट पहनते

जो बच्चे हैं भीख मांगते उनकी उम्र है कच्ची
बड़ी उम्र के किताब बेचते करते माथा-पच्ची

कुछ बच्चे तो गाड़ी भी उन कपड़ों से चमकाते
जिन्हे पहन सर्दी-गर्मी में चौराहों पर आते

दशा कहें या अति दुर्दशा उन बच्चों की होती
जिनको चलने-फिरने या फिर कमी अंग में होती

वे सड़कों के खड़े किनारे बेबश हो बेचारे
देखें कातर नजरों से, कोई उनको देख पुकारे

कुछ बच्चे जो अच्छे-खासे बने अपाहित फिरते
क्योंकि मिलेगा पैसा ज्यादा इसी ताक में रहते

जैसे ही रेड लाइट पर गाड़ियां रूकेगी सारी
कभी-कभी भीख की खातिर करते मारा-मारी

नियम बने कानून बने पहले से इतने ज्यादा
किन्तु आज तक लागू हो पाया देखो आधा

इन गरीब बच्चों के नाम, कुछ लोग जहाज में चलते
मोटी-मोटी तनख्वाहों से अपनी जेबें भरते

प्लानिंग करते, मीटिंग करते, मंहगे होटल में रूकते
उन बच्चों की फिक्र न कोई जो कष्ट अनेकों सहते

वर्कशाप अंग्रेजी में हो यह ध्यान हमेशा रखते
किन्तु न करते जरा ध्यान भी जिनकी दम पर चलते

राइट बेस अप्रोच बनाते एडवोकेसी करते
जितनी भी एनजीओ हैं सब देखा-देखी करते

'शिशु' कहें लिखने में मेरा हृदय द्रवित हो जाता
इससे ज्यादा हाल बुरा अब लिखा नही है जाता

Wednesday, February 11, 2009

जो दिल में घाव करे गहरे उसको ही प्यारा कहते हैं

हंसी-हंसी में दिल को लगाया रोने वाली बातों को।
क्या बतलायें कैसे झेला उन अंधेरी रातों को।।

जबसे तूने प्यार के बदले कीमत देनी चाही है।
तबसे हमने ठान लिया तेरे आने की मनाही है।।

जो प्यार करे इस दुनिया में उसको आवारा कहते हैं।
जो दिल में घाव करे गहरे उसको ही प्यारा कहते हैं।।

मनचलों को मनमाना कहते, मनचला नहीं, तो प्यार करें।
जो प्यार करे सच्चा-सच्चा, उस पर ना वो इतबार करें।।

रोने वालों को लोग कहें, दुख इसके बहुत बड़े होंगे।
जो हंस कर कष्ट छिपाते हैं वो उनसे बहुत बड़े होंगे।

बेवफ़ा यहां पर हर कोई, ये बात अलग बतलाये ना।
है सच्चा जो बतलाये ये, जो झूठी कसमें खाये ना।

क्या 'शिशु' कभी झूठा होगा ये आज तुम्हें बतलाता है।
बतलाने से पहले यारों खुद झूठी कसमें खाता है।

अब यार रहे ना याराना, अब हीर नहीं कोई रांझा
अब प्यार भी चलता है वैसे जैसे धंधों में है साझा

फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

प्यार, तकरार, रार आदमी की देन है,
आदमी ही आदमी का बहुत बड़ा फैन है!

प्यार जब करे कोई देखता न रूप-रंग,
उम्र सीमा कोई नही, देखता ना कोई ढंग!

प्यार के इज़हार की है आदि-अंत कोई नही,
दूजी बात जाती-पांति उम्र सीमा कोई नही!

पहला प्यार भूलना है काम आसान नही
और दूजे प्यार पाना भी यार है आसान नही

प्यार का ना कोई दिन, रोज़-रोज़ प्यार रहे
फूल देते 'फूल लोग' ताकि प्यार याद रहे!

'शिशु' कहें प्यार में तकरार एक आम बात,
किंतु तकरार में यदि प्यार रहे बड़ी बात!

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