Thursday, August 13, 2009

जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

लिया जेल अवतार कृष्ण ने भक्तों के हितकारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

श्याम सलोने कहलाते हैं, मीरा के हैं मोहन
सूरदास के नटखट-नटवर नन्दलाल के सोहन
ग्वाल-बाल के सखा सलोने, माखन चोर मुरारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

दुर्जन, दुष्ट सभी भय खाते, अर्जुन के रथ चालक
द्रुपद सुता की लाज बचाई साधु-संत के पालक
गीता ज्ञान दिया रण भीतर तुम पर जग बलिहारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

न्याय मिलेगा खुद लड़ने से दुनिया को बतलाया
कर्म करो फल मिल जाएगा, ये सब को समझाया
यही समझ ना आया हमको बुद्धि हमारी हारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

'शिशु' कहें है यही 'भावना' आस लगाता जाता
कष्ट हरो जग, जीवन भर के बलदाऊ के भ्राता
शांति सुखी जीवन को सबका जग तुम पर बलिहारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

लिया जेल अवतार कृष्ण ने भक्तों के
हितकारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी

अजीब पहेली बन गयी जिंदगी

अजीब पहेली बन गयी जिंदगी
उन्हें हम पर भरोसा नही
हमें उन पर भरोसा नही
फिर भी जी रहे हैं साथ-साथ
एक-दूसरे के भरोसे !

जो अनाम कुर्बान हो गए, श्रधा सुमन करुँ अर्पण

आधी रात मिली आजादी,
कितने अरमानो के बाद!
पढ़कर मन भावुक हो जाता,
सुनकर कुर्बानी की याद !

नाम याद ही कुछ लोगों का,
उनको नमन करुँ अर्पण!
जो अनाम कुर्बान हो गए,
श्रधा सुमन करुँ अर्पण!

हत्या नही यज्ञ कहते थे,
क्रांतिवीर, अंग्रेज मारकर!
सत्य अहिंसा भी अपनाते,
गाँधी जी को सुनसुनकर!

कौन ठीक था कौन गलत,
कहना ठीक नही होगा!
सत्य सोच थी उनकी लेकिन,
देश का मेरे क्या होगा !

देश हुआ आजाद हमारा,
आज गर्व से हम कहते!
लेकिन क्या हम कभी सोचते,
उनका मान कभी करते!

अब ख़ुद की मूर्ती लगते नेता,
स्वयं का करते ख़ुद गुणगान!
जिसने दिलवाई आजादी,
उसका करते ये अपमान!

आज देश में मारा-मारी,
भाषा-प्रांती के चलते!
लगा बाग़ आजादी का जो,
उसमे बिच्छू हैं पलते!

'शिशु' कहें हैं शुक्र न जिन्दा,
जिसने दिलवाई आजादी!
देख देश की इस हालत को,
कहते अब है बर्बादी!

Tuesday, August 11, 2009

बने फिरंगी फिर रहे गली-गली गंगू तेली

गरम-गरम चाय हम पीते ठंडा पानी,
देख विदेशी बन गए हमसब हिन्दुस्तानी

पीजा मिलता यंहा पर वेज़-नानवेज
व्रत वाला भी बेचते राधे और परवेज़

मेकप मुंह पर थोपकर पुरूष घूमते आज
महिला मेकप कम ही करती इसमे गहरा राज

रिसेशन का दौर है पूरा विश्व तबाह
हिन्दुस्तान अछूता इससे हम कहते हैं 'वाह'

हिन्दी पढ़ डिग्री ले घूमे पढ़े लिखे हैं फिरते
दसवीं पढ़ अंग्रेजी वाले लिए नौकरी फिरते

बने फिरंगी फिर रहे गली-गली गंगू तेली
अजब-गजब की दाढी-बाल अनजानी है बोली

हम जैसों का होगा क्या? हम हैं बहुत निखट्टे

नौ दिन की है नौकरी, नौ महीने का काम,
नौ-नौ लोग लगे करने में ख़त्म न होता काम!

नए लोग आते गए, क्या अधिक मिलेगा दाम?
ऐसा मान काम पर लग गए, हैं पाले अरमान!

गए छोड़कर जो सभी उनका काम कमाल,
एक-आध को छोड़कर उनका नही मलाल!

नही मिला पैसा अगर तो क्या होगा हाल
छोड़ गए कुछ लोग हैं फाड़ के मकडी जाल,

उन्हें काम मिल जाएगा जो हैं हट्टे-कट्टे
हम जैसों का होगा क्या? हम हैं बहुत निखट्टे

यही सोंचकर आजकल आती नींद न रात
झूठ 'शिशु' कहता नही कहता सच्ची बात

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