रंग चढ़ा इस बार हाय! देखो मंहगाई रंग-बिरंगी,
सारा रंग उसी को लग गया वो दिखती बहुरंगी.
फीका रंग मिठाई का है, फीके सब पापड़ गुझिया,
छोड़-छाड़ पचरंग मिठाई, खायेंगे अब सब भुजिया.
बिन हुडदंग ना होली भाती, बिना भंग ना रंग,
बिन पैसे के कुछ ना आता अब पैसा ना मेरे संग
उहापोह में जान 'शिशु' की किसी ने रंग लगाया,
लौटायेंगे वो कैसे रंग? हमको फीका रंग ना भाया
होली है इस बार की अर्पित मंहगाई माता के नाम
अगली साल खेल लेंगें रंग तब तक आजायेंगे दाम
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