Thursday, July 2, 2009

ममता जी तुम ही कुछ ममता दिखादो

रेल में है रेलपेल बड़ी भीड़ भारी है
एक-एक डिब्बे में अनगिनित सवारी हैं

बीस डिब्बा वाली ट्रेन एक-आध जनरल का
उस पर से आधा समझो सेना के कर्नल का

बैठे वाले खड़े नही जब तक हो पाएंगे
खड़े वाले जब तक न उतर कहीं जायेंगे

बाथरूम जाना भी एक तरह जंग है
कठिन काम समझो यदि जोरू भी संग है

बच्चे-बुजुर्गों पर बड़ी दया आती है
बाथरूम तक जाने की नौबत ही नही आती है

लालू को लिखा था डिब्बा बढ़ाने को
चला दिया गरीब रथ मजाक उडाने को

ममता जी तुम ही कुछ ममता दिखादो
एक और डिब्बा बस ट्रेन में बढ़ा दो

झगड़ा पानी पर ना होगा, घर में भी पानी आएगा


बह चली हवा, वर्षा ने भी अपना कमाल दिखलाया है
जिसका था इन्तजार कबसे, वो मौसम कल ही आया है

डाली-डाली है झूम रही कलियाँ कोमल मुसकायी हैं
पंक्षी भी चहक रहे देखो जबसे ऋतु प्यारी आयी है

जंगल में जीव सभी मंगल गीतों पर तान दे रहे हैं
मानो मिल गयी मांगी मुराद ऐसा गीतों में कह रहे हैं।

फसलें जो सूख रही थी उनको जीवन दान मिल दूजा
खुश होकर मन ही मन किसान ईश्वर की करता है पूजा

पानी की कमी नहीं होगी इस मौसम के आ जाने से
बिजली भी पानी से बनती वो भी आयेगी आने से

झगड़ा पानी पर ना होगा, घर में भी पानी आएगा
मालिक मकान का खुश होकर मोटर भी रोज चलाएगा

छुट्टी करने वालों को भी बारिश में मौका मिलता है
'शिशु' कहते हैं इस बारिश में ही कमल-कुमुदिनी खिलता है

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