Thursday, March 25, 2010

मेल! मेल को समझो मेला घर को कर दो सेल

अब दिल्ली में भीख मांगना और बड़ा अपराध,
अपराध! यदि हुआ किसी से भी तो समझो जेल,
जेल! जेल को नहीं समझना आने वाले खेल,
खेल! खेल-खेल में होगी सड़क पे रेलमपेल
रेलमपेल! कुम्भ जैसे बिछड़ेंगे, फिर होगा तब मेल
मेल! मेल को समझो मेला घर को कर दो सेल
सेल! सेल से पैसा जो आये उससे खा पूरी-भेल

बदमाश तेल! तू ही बिगड़ रहा आम आदमी का खेल!

बदमाश तेल!
तू ही बिगड़ रहा आम आदमी का खेल!

कोमन-वेल्थ-गेम!
और शीला दीक्षित जी सेम टू सेम!

'कबीर'-माया महा ठगिन हम जानी...
'शिशु'-माया माया की हम जानी...

रूपये की माला!
अबे कम बोल! जुबान पर लगा ताला...

हजार हजार के नोट!
बुरा मत मानो, चुनाव के समय यही दिलाएंगे वोट!

दिल्ली की मंहगाई!
मीडिया की खबर! मीडिया की कमाई!

पुलिश की भर्ती!
भगदड़ मची, कितनो की उठी अर्थी!

स्वामी जी का भंडारा!
हो गया ६०-७० का वारा-न्यारा!

बाबा इच्छाधारी!
मर्सडीज़ छोड़, जेल वाहन की कर रहे सवारी... 
 

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