Sunday, August 16, 2009

इंतज़ार है शत्रु उस पर कर न यकीन....

इंतज़ार है पक्का शत्रु, उस पर कर न यकीन
जीना शान से चाह रहे तो ख़ुद को समझ न दीन
ख़ुद को समझ न दीन काम कल पर ना छोड़ो
लगन से करके काम दाम फल समझ के तोड़ो
इंतज़ार का फल मीठा है ऐसा कहते लोग
इंतज़ार कब तक करें ? क्या जब बढ़ जाए रोग
जब बढ़ जाता रोग तब इलाज़ महंगा हो जाता
इंतज़ार जो करवाता है तब उसके समझ में आता
'शिशु' कहें दोस्तों मेहनत से मत घबराना
इंतज़ार है शत्रु उसे तुम पास न लाना

1 comment:

Unknown said...

sach hai, jo karnaa hai, turant kar daalo !

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