दर्ज किताबों में होना है, जिनका है कुछ नाम नहीं,
उनको भी होना है जिनका मुल्क में कोई काम नहीं।
उनको भी होना है जिनका मुल्क में कोई काम नहीं।
बिना वजह की बहसों से, कुछ, लोगों को बांट रहे,
नक़ली बाबा, नक़ली नेता, असली चाँदी काट रहे।
नक़ली बाबा, नक़ली नेता, असली चाँदी काट रहे।
ग़ुर्बत में दिन बीत रहे हैं मेहनत करने वालों के,
'शिशु' किसानों को लाले हैं आज निवालों के।
लोकसभा में लोकत्रांतिक मूल्यों का है अर्थ नहीं,
झूठ मानने वालों मानो, इसमें कोई शर्त नहीं।
झूठ मानने वालों मानो, इसमें कोई शर्त नहीं।