Thursday, October 26, 2017

गदहे को पंजीरी बांट प्रभु, इंसान के आगे घास करो।।

विकास की कोई न आस करो,
हैं फ़ेल तो फ़िर भी पास करो।
सब भक्त बनो, गुणगान करो,
भगवान को यूं न निराश करो।।

सरकार को परमेश्वर माना-
तब आँख मूंद विश्वास करो।
गदहे को पंजीरी बांट प्रभु,
इंसान के आगे घास करो।।

सब बंद पुराने नोट करो,
यह अर्थव्यस्था नाश करो।
आलोचक को सूली दे दो,
लेकिन उनका न ह्रास करो।।

जनता पर कर्ज़ डाल भारी,
जीते जी सबको लाश करो।
है एक गुज़ारिश और 'शिशु'
जनता का न उपहास करो।

Wednesday, October 25, 2017

सब बंद पुराने नोट करो, यह अर्थव्यस्था नाश करो।

विकास की कोई न आस करो,
हैं फ़ेल तो फ़िर भी पास करो।
सब भक्त बनो, गुणगान करो,
भगवान को यूं न निराश करो।।

सरकार को परमेश्वर माना-
तब आँख मूंद विश्वास करो।
गदहे को पंजीरी बांट प्रभु,
इंसान के आगे घास करो।।

सब बंद पुराने नोट करो,
यह अर्थव्यस्था नाश करो।
आलोचक को सूली दे दो,
लेकिन उनका न ह्रास करो।।

जनता पर कर्ज़ डाल भारी,
जीते जी सबको लाश करो।
है एक गुज़ारिश और 'शिशु'
अपना तुम ना उपहास करो।

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