Thursday, June 10, 2010

जूझ रहा इस तरह जल बिना जैसे हूँ मैं मीन

जूझ रहा इस तरह जल बिना जैसे हूँ मैं मीन,
बिना नहाये ऑफिस जाता ऑफिस भी जलहीन.

नित्यक्रिया को सुगम बनाने एक बिसलरी लाया,
दिन भर पीता पेप्सी-कोला प्यास बुझा ना पाया.

घर में खाना बनता न अब, होटल में ही खाता,
१२ बजे रात में जगता फिर भी पानी ना आता.

कपडे धोबी से धुलवाता लेता वो है दूने दाम,
पानी की कीमत अब जानी पानी का अब नाम.

काश! दोस्तों, इन्टरनेट से पानी घर में आता,
पानी की उन बौछारों से सब जग पानी हो जाता.

"समाज सामाजिक संबंधों का जाल है"

मैकाइवर एंड पेज ने कहा था कि-
"समाज सामाजिक संबंधों का जाल है"
अब प्रश्न यह है-
क्या आजकल के टूटते रिश्तों से 
किसी को मलाल है?
आज तो हर इंसान की बिगड़ी हुयी चाल है...
कहा तो यहाँ तक जाता है कि,
परिवार में बड़े-बुजुर्गों की अब
बच्चों के सामने गलती नहीं दाल है!
और हाँ,
ऐसा हमारे देश का ही नहीं
पूरे विश्व का हाल है...
इसलिए समाज सामाजिक संबंधों का जाल है
पर खड़ा हो गया सवाल है...?

Wednesday, June 9, 2010

घर लेने वालों को वेबपेज इजीहोमरेंटिंग है भाया

घर चाहो किराए से लेना तो खोलो इन्टरनेट
हो गुडगाँव, नोयडा, दिल्ली अच्छे मिलेंगे रेट
दिल्ली अच्छे मिलेंगे रेट वेब का पता बताता
इजीहोमरेंटिंग* हैं नाम याद जो जल्दी से आता
'शिशु' कहें दोस्तों अब युग कम्पूटर का आया
घर लेने वालों को वेबपेज इजीहोमरेंटिंग है भाया
http://www.easyhomerenting.com

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