Thursday, April 8, 2010

यदि घर में हिंसा लाओगे... बीबी पर हाँथ उठाओगे.


(दूध की बढ़ती कीमत...)
दूध से क्रीम बनाओगे...
और मुहं पर उसे लगाओगे...
तो दूध-दही क्या आपोगे ? ? ?

(पानी की समस्या....)
पानी अगर बहाओगे...
उससे गाड़ी धुलवाओगे...
पानी में दूध मिलाओगे...
तो क्या पानी पी पाओगे ? ? ? 

(दिल्ली सरकार .....)
गैस दे दाम बढाओगे...
और खेल-खेल चिल्लाओगे...
जनता को बरगलाओगे... 
क्या वोट मेरा पा जाओगे ? ? ?

(पर्यावरण...) 
यदि नैनो में सब जाओगे...
और सड़क पे जाम लगाओगे...
बस का उपयोग ना लाओगे..
क्या पर्यावरण बचाओगे ? ? ?

(नौकरी ....)
यदि ऑफिस देर से आओगे...
और काम-काम चिल्लाओगे...
तनख्वाह की मांग बढ़ाओगे...
क्या ऑफिस में टिक पाओगे ? ? ?

(घरेलू हिंसा...)
यदि घर में हिंसा लाओगे...
बीबी पर हाँथ उठाओगे...
और उस पर तुम चिल्लाओगे..
तो क्या तुम पति कहाओगे ? ? ?

इसीलिये अब नहीं लिख रहा, मन में ही लिख लेता हूँ.

गीत लिखूं या लिखूं कहानी
नहीं समझ कुछ आता है,
अपना लिखा गीत मुझको तो 
बिलकुल ही ना भाता है.

कभी-कभी तो जगकर रात
लिखता और मिटाता गीत
लिखा हुआ पढ़ता कई बार
नहीं समझ में आता गीत 

कई बार लिखते-लिखते 
कुछ झुंझलाहट सी होती 
और कभी जाने-अनजाने 
कविता पलक भिगोती

कितने ही मौके आये जब- 
लगता लिखना है बेकार, 
कितने ही मौके आये जब-
लगता बेड़ा गर्क है यार

खुद से पूछा कितनी बार,
क्या होगा जो लिख डाला? 
लिखते हो तो अच्छा लिखते
ये क्या है गड़बड़ झाला?

जब पढ़ता औरों के गीत
तब लगता मैं हूँ नालायक
मेरी कविता अर्थ-अनर्थ,
उसकी कविता ही है लायक

इसीलिये अब नहीं लिख रहा,
मन में ही लिख लेता हूँ. 
'नज़र-नज़र का फेर' समझकर
खुद निंदा कर लेता हूँ.  Poems and Prayers for the Very Young (Pictureback(R))

Tuesday, April 6, 2010

जीजाजी होंगे सोहेब! क्या भारत होगा साला ?

जीजाजी होंगे सोहेब! क्या भारत होगा साला ?
कुछ दिन चुप होकर के बैठो लगा के मुंह पे ताला

पाकिस्तान में भाभी- भाभी मचा हुआ है शोर,
दावत और वलीमा दोनों हो रहे हैं चंहुओर.

कट्टरपंथी प्यार में अब अड़ा रहे हैं टांग,
अखबारी मुर्गा जो सब हैं रात में दे रहे बांग.

सोहेब! पहले से शादी-शुदा पहले से दामाद,
अबसे पहले गुम थी बीबी अभी कर रही याद.

'शिशु'-'भावाना', दे रहे अभी से उन्हें बधाई,
वाह-वाह अल्लामियां-राम जी जोड़ी खूब बनाई.

वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,

वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

हर्षित हो सहगान कर रहे,
अपने पर अभिमान कर रहे,
आप को अर्पित पुष्प ये सारे,
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

धन्य भाग्य हम आपको पाकर
आप अतुल्य आप हैं सागर,
आप चन्द्रमा हम सब तारे
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे,

रख्खा मान आप जो आये
जितने यहाँ सभी को भाये
आपका स्वागत करते सारे
हुए धन्य हम आप पधारे...
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे,
कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे...

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