कल तीस का हो जाऊंगा
इन तीस सालों में
अब मै हिसाब लगता हूँ
तो पाता हूँ
कि एक पैर से
अपाहिज होने के अलावा
कुछ भी तो ऐसा नहीं घटा
जिस पर हानि समझ कर रोऊँ,
हां यह कहना कि
मैंने पाया भी कुछ कम नहीं,
तो क्या इस पर
बखान करके खुश होऊं
सोचता हूँ क्या शादी, नौकरी, रुतबा
केवल दिखावे के लिए है
या
यही जीने का मकसद है मेरा,
बहुत दिमाग लगाया
पर आज तक नहीं समझ पाया
हाँ समाज से गरीबी कैसे दूर होगी?
क्या अंतर है शहरी गरीबी
और
गाँव की गरीबी में
यह डेवलपमेंट सेक्टर में
रहकर जरूर सीख पाया
लेकिन
क्या फर्क पड़ता है
यह सब जान लेने से,
गाँव से ज्यादा शहर में गरीब हैं
यह मान लेने से,
की शहरों में गरीबी का ग्राफ बढ़ा है
मेरी नज़र में तो जी बस गरीब तो गरीब हैं,
फिर क्या फर्क पड़ता है
कि
वे शहर में रहें या गाँव में
हमें क्या हक कि हम उन्हें
धर्मं-जाति और मज़हब
की तरह बाँट दें
सच तो यह है
कि
वो एक हिस्सा हैं
हमारे समाज का
हम तो केवल
रोजी-रोटी के लिए
उन गरीबों के लिए काम करते हैं
वर्ना
किसे फिक्र है
और
किसे पड़ी है कि
वो गरीबी दूर करे
बीते कई सालों से
इसी सेक्टर में काम करते-करते
और
यह देखते-देखते कि
कौन गरीबों का मशीहा है
थक गया हूँ
और यह सोचकर कि
क्या होगा आगे के सालों में
सोचकर पक गया हूँ
अब किसकी फिक्र करू
किसकी नही
ये कौन बताएगा
मुझे पक्का यकीन है की
जो भी बताएगा
अपने बारे में ही बताएगा
Wednesday, July 15, 2009
Tuesday, July 14, 2009
अंतर बस इतना सा है!
हमें शांति भाईचारा से प्यार है
उन्हें इस पर एतराज है
हमें गीत, संगीत से लगाव है
उन्हें इससे अलगाव है
हमें अहिंसा, सत्य पर विश्वास है
उन्हें इस पर नहीं आस है
हमें अँधेरे, अत्याचार से इनकार है
वो मारामारी पर तैयार हैं.
हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं
वो करने लगते तकरार हैं.
हमें तो बस यही अंतर नज़र आता है
वर्ना रिश्ता निभाने में हमारा क्या जाता है.
उन्हें इस पर एतराज है
हमें गीत, संगीत से लगाव है
उन्हें इससे अलगाव है
हमें अहिंसा, सत्य पर विश्वास है
उन्हें इस पर नहीं आस है
हमें अँधेरे, अत्याचार से इनकार है
वो मारामारी पर तैयार हैं.
हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं
वो करने लगते तकरार हैं.
हमें तो बस यही अंतर नज़र आता है
वर्ना रिश्ता निभाने में हमारा क्या जाता है.
Subscribe to:
Posts (Atom)
Popular Posts
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
Prof. Shamsul Islam भारतीय समाज में औरत ही एक ऐसी हस्ती है, जिसका नसीब संस्कृतियों, वर्गों और धर्मों में व्यापक अंतर और भेद होने के...
-
एक परमानेंट प्रेगनेंट औरत से जब नहीं गया रहा, तो उसने भगवान् से कर-जोड़ कर कहा- भगवान् मुझे अब और बच्चे नहीं चाहिए, बच्चे भगवान् की देन ह...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
पाला पड़ा गपोड़ों से। डर लग रहा थपेड़ों से।। अर्थव्यवस्था पटरी पर आई चाय पकौड़ों से। बच्चे बिलखें कलुआ के, राहत बँटी करोड़ों से। जी...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
-
इंतज़ार है पक्का शत्रु, उस पर कर न यकीन जीना शान से चाह रहे तो ख़ुद को समझ न दीन ख़ुद को समझ न दीन काम कल पर ना छोड़ो लगन से करके काम दाम फल स...
Modern ideology
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...