'शिशु' कल्पना करता है यदि-
खेल हमारे होते गाँव,
घर-मकान होते सब अच्छे
पूरे गाँव को मिलती छाँव.
सड़कें बनती खेल गाँव सी
मेट्रो भी चल जाती,
अभी अँधेरा रहता हरदम
तब बिजली हर घर आती,
पुलिया ऊपर बनता पुल
नदी कराई जाती साफ़,
अस्पताल भी खुल जाते तब
साफ़-सफ़ाई होती आप.
रोजगार भी बढ़ जाता कुछ-
होटल लोग खोलते,
अभी बोलते गाँव की भाषा
तब इंग्लिश भी बोलते.
खेल-खेल में गुल्ली-डंडा
भी प्रसिद्ध हो जाता
निश्चित तौर पे कहता हूँ मैं
गोल्ड मेडल मिल जाता
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