ताज्जुब में सब विधायक, हैं मुकद्दर देखकर।
स्वर्ग में गाँधी परेशां, आज खद्दर देखकर।।
है कमाता, ग़म भी खाता, तब मजे में ज़िंदगी,
पाँव फैलाता 'शिशु' है, जो भी चद्दर देखकर।
बाग़ जैसे ही बिका, हैरान बिरवे हो गए,
शोक में डूबे हैं पक्षी आम गद्दर देखकर।
मौसमें बारिश है लेकिन, गर्मियों का जोर है।
छाँव में बैठा है खेतिहर धूप भद्दर देखकर।।
भद्दर: बहुत तेज़
गद्दर: अधपका
#नज़र_नज़र_का_फ़ेर #शिशु