Wednesday, February 3, 2010

बीत गया है अर्सा कितना उनसे बात नहीं होती

बीत गया है अर्सा कितना,
उनसे बात नहीं होती. 
होती भी तो कैसे होती,
मिलने पर अब जो रोती ..

हँसता चेहरा उसका भाता,
अब वो हंसी नहीं दिखती.
पहले पहल लिखे थे ख़त जो,
वैसे ख़त अब कम लिखती..

कभी कभी तो लगता ऐसा,
ख़ता हुयी थी मुझसे भारी.
प्रेम बढाया था मैंने ही,
भूल हुयी मुझसे सारी..

झूठ बोलना पहले उसका,
मुझको लगता था प्यारा.
पहले सब दुश्मन थे मेरे,
वो आँखों की थी तारा..

अब मिलती है सहमी सहमी,
जैसे मैं हूँ बहुत कठोर.
इसीलिये मैं भी कम मिलता.
पकड़ लिया दूजे का छोर..

Monday, February 1, 2010

महंगी चीनी जान कर सुगर किया बहाना

महंगी चीनी जानकर सुगर का किया बहाना
मोटापा कम हो इस खातिर खाता कम ही खाना
खाता कम ही खाना दाल से मुझको बहुत एलर्जी
रहता हूँ उपवास दिवस दस, है प्रभु की ये मर्जी
'शिशु' कहें महंगाई-महंगाई है रोते सब प्राणी
तौबा - तौबा करके कहते अब चीनी ना खानी

ये सब दुनिया दुनियादारी,,कह मंदिर के बने पुजारी,

ये सब दुनिया दुनियादारी,
कह मंदिर के बने पुजारी,
राजनीति में भी घुस आये
बोलके असली धर्माचारी.

राम ही मंदिर, मंदिर राम,
जपते करते ना कुछ काम,
कार में जपते राम का नाम
दिन भर करते फुल आराम

चंदा लेकर करते दंगा 
घूम के आये चारों धाम
चेलों को नौकर बन रखते
उनसे करवाते सब काम

एक हो उसका नाम बताएं
बतलाएं तो मार भी खाएं
इसीलिये मुंह बंद रखूंगा
'शिशु' को कभी नहीं ये भाए

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