Thursday, April 15, 2010

तीन देवियाँ!!!

तीन देवियाँ!!!

बामुलाहिजा होशियार, 
शीला दीक्षित जी तैयार, 
झुग्गी-बस्ती गिराएंगी, 
फ्लाईओवर बनाएंगी, 
दिल्ली चमकायेंगी
सबको खेल दिखाएंगी...

तिलक-तराजू और तलवार, 
उनके मारो जूते चार,
माया जी का नारा
दलित हमें है प्यारा
मंत्री जी लाओ हज़ार-हज़ार के नोट
और जनता से दिलवाओ मुफ्त में वोट...

ममता बनर्जी!
कांग्रेस दे रहा अर्जी दर अर्जी, 
महिला बिल पास हो, उनकी नहीं मर्जी
यही तीन देवियाँ है आजकल की सर जी

Wednesday, April 14, 2010

आज से दोस्त हुए हम दोनों, नहीं दोस्ती तोड़ेंगे

मैं गरीब हूँ और तू गरीब है और न कोई गरीब, 
ये दुनिया है बदमाशों की, मैं और तू ही शरीफ.

मुझे नहीं पैसे का लालच तूभी नहीं है लोभी, 
हम दोनों हरहाल में रहते खाते दे दो जोभी. 

मेरे पास न गाड़ी-घोड़ा और तेरे पास न नैनो कार 
मैं बस में चलता हूँ यार, तू भी बस में चलता यार

मैं हूँ सत्य मार्ग पर चलता तू भी झूठ नहीं बोला,
मेरे बाबा रामदेव जी, सच! तू भी उनका ही चेला!

मैं हूँ गाँव देहात का वासी, मेरा यंहा नहीं घर-द्वार, 
तू भी रहता है किराए से तेरा घर भी गंगा पार.

आज से दोस्त हुए हम दोनों, नहीं दोस्ती तोड़ेंगे
जब तक होंगे दिल्ली में हम साथ न तेरा छोड़ेंगे  

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