अजीब शहर है ये, लोग बेगाने से लगते हैं,
अपना यंहा कोई नहीं, सभी सयाने से लगते हैं।
मै खोजता हूँ वो जगह जंहा कुछ राहत मिले,
वर्दीधारी लोग वंहा से भी भगाने लगते हैं।
जिधर भी जाओ भीड़-भाड़ है, सोचता हूँ पैदल चलूँ,
पर कार वाले सड़क पर हड़काने लगते हैं।
सोचता हूँ कुछ सोकर वक्त गुजारूं,
रात को ऑफिस वाले जगाने लगते हैं।
देखने का मन करता है पुरानी इमारतें,
जब जाओ तो वंहा कुछ न कुछ बनाने लगते हैं।
दिल करता है जीभर कर रोऊँ,
लेकिन लोग आकर हँसाने लगते हैं।
'शिशु' यंहा किसी को कुछ पता नहीं,
फिर भी आकर समझाने लगते हैं।
Thursday, May 28, 2009
अजीब शहर है ये, लोग बेगाने से लगते हैं
Wednesday, May 27, 2009
मै गधा हूँ मुझे गधा ही रहने दीजिये
मै और मेरा गधा अक्सर ये बातें करते हैं,
कि काश मै गधा और तू इंसान होता,
मैं एसी में बैठता और तू सामान ढोता
मै यह सुनकर खुश होता कि
इंसान के रूप में भी उसे गधा कहा जाता
और मै जो वास्तव में एक गधा होता
मुझसे यह देख कर बड़ा मजा आता
कि इंसानों का मालिक जो काम कराता है
वह वास्तव में गधे के मालिक से अधिक ही कराता है
हां गधा काम करे या ना करे,
उसे डंडे जरूर पड़ते हैं
और उधर यह क्या कम है
जो गधा अभी इंसान है,
उसे मालिक तो मालिक
उसके चमचों से भी हाथ जोड़ने पड़ते हैं।
एक बात और इंसान को दाल रोटी के लाले पड़े हैं
क्यूंकि जंहा अनाज है वंहा ताले जड़े हैं
गधे को क्या बस काम करते जाओ
आजकल खेतों में भूषा वैसे ही नहीं होता
इसलिए इंसान कि तरह अनाज खाते जाओ
गधे का नाम भी हमेशा एक सा रहता है
इसलिए कि वह गधा है गधा ही रहता है
अब देखो मेरा गधा जो इंसान बन बैठा था
मेरे पास आया और बोला
बोला क्या, एक रहस्य खोला
हे मनुष्य हम गधे ही अच्छे क्यूंकि
तब भी मै गधा था और अब भी मुझे गधा कहा जाता
इसलिए मुझसे यह गम सहा नहीं जाता
आप इंसान हैं आपको पद और पदवी से लगाव है
इसलिए आप मेरी पदवी ले लीजिये
मै गधा हूँ मुझे गधा ही रहने दीजिये
मै गधा हूँ मुझे गधा ही रहने दीजिये
कि काश मै गधा और तू इंसान होता,
मैं एसी में बैठता और तू सामान ढोता
मै यह सुनकर खुश होता कि
इंसान के रूप में भी उसे गधा कहा जाता
और मै जो वास्तव में एक गधा होता
मुझसे यह देख कर बड़ा मजा आता
कि इंसानों का मालिक जो काम कराता है
वह वास्तव में गधे के मालिक से अधिक ही कराता है
हां गधा काम करे या ना करे,
उसे डंडे जरूर पड़ते हैं
और उधर यह क्या कम है
जो गधा अभी इंसान है,
उसे मालिक तो मालिक
उसके चमचों से भी हाथ जोड़ने पड़ते हैं।
एक बात और इंसान को दाल रोटी के लाले पड़े हैं
क्यूंकि जंहा अनाज है वंहा ताले जड़े हैं
गधे को क्या बस काम करते जाओ
आजकल खेतों में भूषा वैसे ही नहीं होता
इसलिए इंसान कि तरह अनाज खाते जाओ
गधे का नाम भी हमेशा एक सा रहता है
इसलिए कि वह गधा है गधा ही रहता है
अब देखो मेरा गधा जो इंसान बन बैठा था
मेरे पास आया और बोला
बोला क्या, एक रहस्य खोला
हे मनुष्य हम गधे ही अच्छे क्यूंकि
तब भी मै गधा था और अब भी मुझे गधा कहा जाता
इसलिए मुझसे यह गम सहा नहीं जाता
आप इंसान हैं आपको पद और पदवी से लगाव है
इसलिए आप मेरी पदवी ले लीजिये
मै गधा हूँ मुझे गधा ही रहने दीजिये
मै गधा हूँ मुझे गधा ही रहने दीजिये
यदि दिल को सुकून मिलता है तो गाना गाना ही चाहिए
अक्सर लोग कहते हैं कि-
मनुष्य को हमेशा आशावाद में जीवन बिताना चाहिए,
बात बने या ना बने
फिर भी उसे बनाना चाहिए,
काम भले ही छोटे किये हों
उन्हें बड़ा बना कर बॉस को बताना चाहिए,
खुद झूठ बोलो
और दूसरों को सत्य का पाठ पढाना चाहिए,
गलती भले ही प्रेमिका ने की हो
लेकिन बॉस, उसे तुम्हे ही मनाना चाहिए,
गंगा - यमुना में पानी भले ही साफ़ न हो
फिर भी हर पर्व-त्यौहार उसमे नहाना ही चाहिए,
क्या फर्क पड़ता है यदि गाना नहीं आये
यदि दिल को सुकून मिलता है तो गाना गाना ही चाहिए,
'शिशु' तो ऐसे ही लिखते रहते हैं
क्यूंकि उसे तो बस लिखने का बहाना चाहिए
मनुष्य को हमेशा आशावाद में जीवन बिताना चाहिए,
बात बने या ना बने
फिर भी उसे बनाना चाहिए,
काम भले ही छोटे किये हों
उन्हें बड़ा बना कर बॉस को बताना चाहिए,
खुद झूठ बोलो
और दूसरों को सत्य का पाठ पढाना चाहिए,
गलती भले ही प्रेमिका ने की हो
लेकिन बॉस, उसे तुम्हे ही मनाना चाहिए,
गंगा - यमुना में पानी भले ही साफ़ न हो
फिर भी हर पर्व-त्यौहार उसमे नहाना ही चाहिए,
क्या फर्क पड़ता है यदि गाना नहीं आये
यदि दिल को सुकून मिलता है तो गाना गाना ही चाहिए,
'शिशु' तो ऐसे ही लिखते रहते हैं
क्यूंकि उसे तो बस लिखने का बहाना चाहिए
Tuesday, May 26, 2009
अब देखिये रात में हो रही बात है
क्या बात है?
आजकल हर किसी से हो रही मुलाकात है
दिल में अजीब सी खलबली मची है
क्यूंकि, यह पता नहीं किसकी करामात है
कि जबकि पास थे वो उनका नाम तक नहीं याद था
और अब जब मै भूल गया उनको, तब बन गए ऐसे हालात हैं
कि मुलाकात हो रही है,
वो भी ऐसे मौसम में जबकि झमाझम बरसात है
सोचते थे कि दिन में मिलेगें दोस्त
अब देखिये रात में हो रही बात है
Subscribe to:
Posts (Atom)
Popular Posts
-
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है- विवाह काले रति संप्रयोगे प्राणाताये सर्वधनापहारे। विप्रभ्य चार्थे ह्यन्नुतम वदते पक्षी वृतान्यत्नूर।। अर्थात व...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे, कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे, हर्षित हो सहगान कर रहे, अपने पर अभिमान कर ...
-
विकलांगता अभिषाप है या वरदान यह बात मेरे समझ से परे है। परन्तु यह कहना सही होगा उनके बारे में ‘‘हम भी इंसान हैं तुम्हारी तरह, न कुछ खास और न...
-
इंतज़ार है पक्का शत्रु, उस पर कर न यकीन जीना शान से चाह रहे तो ख़ुद को समझ न दीन ख़ुद को समझ न दीन काम कल पर ना छोड़ो लगन से करके काम दाम फल स...
-
गरीबी की पहचान को लेकर व्यापक बहस चल रही है। सरकार ने यह साबित करने की कोशिश की है कि गरीबी कम हुई है। इसके लिए आंकड़े तक सरकार द्वारा उपलब्ध...
-
सखी वे मुझसे कहकर जाते....... अपनी बात हमें बतलाते तो क्या उनको नही पिलाती मदिरा की तुम बात करो मत और भी चीजे हैं पीने की इससे नही भरा दिल स...
-
CAN AMICABLE SETTLEMENT TURNED BY NATIONALISED BANKS WITH REGARD TO DISABILITY ? Petition
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...
Internship
After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...
-
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है- विवाह काले रति संप्रयोगे प्राणाताये सर्वधनापहारे। विप्रभ्य चार्थे ह्यन्नुतम वदते पक्षी वृतान्यत्नूर।। अर्थात व...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
वंदन-अभिनन्दन है स्वागत, आप आये घर-द्वार हमारे, कैसे कहूं शब्द कम पड़ते, हुए धन्य हम आप पधारे, हर्षित हो सहगान कर रहे, अपने पर अभिमान कर ...