Tuesday, November 8, 2011

अन्ना ना तेरे हैं, ना मेरे हैं, अन्ना को अब सब घेरे हैं...

ना तेरे हैं, ना मेरे हैं,
अन्ना को अब सब घेरे हैं...

इधर मीडिया बोल रही है 
अन्ना सच्चे गांधीवादी. 
उधर मीडिया बोल रही है 
अन्ना ही असली बरबादी

भ्रष्टाचार मिटेगा पूरा-  
सच! अन्ना टीम बोलती है.
उधर मीडिया अन्ना टीम का
सच! सच में भेद खोलती है.

'शशि शेखर'* 'शिशु' बोल रहे हैं 
अन्ना हुए सियासी हैं.
कांग्रेसी के दिग्गी-दिग्गज 
बोले अन्ना बासी हैं. 

अन्ना की अनचाही टीम 
अन्दर-अन्दर टूट रही.
जिसको नहीं मिला पद-पदवी 
वो अन्ना से रूठ रही.

भ्रष्टाचार ख़तम होगा क्या? 
क्या राम रज्य आ जाएगा?
या यह भ्रष्ट व्यस्था ही 'शिशु' 
अन्ना को खाजेगा
सोचा आज सवेरे है 
ना तेरे हैं, ना मेरे हैं,
अन्ना को अब सब घेरे हैं...

*हिन्दुस्तान के सम्पादकीय लेख में दिनाक ६ नवम्बर को छपे शशि शेखर के लेख से ...अच्छा हो अन्ना सियासी लोगों की भाषा छोड़ नयी पीढी को सदाचार और संस्कार के आन्दोलनों को आगे बढ़ाएं..  

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