लिया जेल अवतार कृष्ण ने भक्तों के हितकारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
श्याम सलोने कहलाते हैं, मीरा के हैं मोहन
सूरदास के नटखट-नटवर नन्दलाल के सोहन
ग्वाल-बाल के सखा सलोने, माखन चोर मुरारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
दुर्जन, दुष्ट सभी भय खाते, अर्जुन के रथ चालक
द्रुपद सुता की लाज बचाई साधु-संत के पालक
गीता ज्ञान दिया रण भीतर तुम पर जग बलिहारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
न्याय मिलेगा खुद लड़ने से दुनिया को बतलाया
कर्म करो फल मिल जाएगा, ये सब को समझाया
यही समझ ना आया हमको बुद्धि हमारी हारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
'शिशु' कहें है यही 'भावना' आस लगाता जाता
कष्ट हरो जग, जीवन भर के बलदाऊ के भ्राता
शांति सुखी जीवन को सबका जग तुम पर बलिहारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
लिया जेल अवतार कृष्ण ने भक्तों के हितकारी
जन्म दिवस है आज प्रभु का मना रहे नर-नारी
Friday, August 14, 2009
Thursday, August 13, 2009
अजीब पहेली बन गयी जिंदगी
अजीब पहेली बन गयी जिंदगी
उन्हें हम पर भरोसा नही
हमें उन पर भरोसा नही
फिर भी जी रहे हैं साथ-साथ
एक-दूसरे के भरोसे !
उन्हें हम पर भरोसा नही
हमें उन पर भरोसा नही
फिर भी जी रहे हैं साथ-साथ
एक-दूसरे के भरोसे !
जो अनाम कुर्बान हो गए, श्रधा सुमन करुँ अर्पण
आधी रात मिली आजादी,
कितने अरमानो के बाद!
पढ़कर मन भावुक हो जाता,
सुनकर कुर्बानी की याद !
नाम याद ही कुछ लोगों का,
उनको नमन करुँ अर्पण!
जो अनाम कुर्बान हो गए,
श्रधा सुमन करुँ अर्पण!
हत्या नही यज्ञ कहते थे,
क्रांतिवीर, अंग्रेज मारकर!
सत्य अहिंसा भी अपनाते,
गाँधी जी को सुनसुनकर!
कौन ठीक था कौन गलत,
कहना ठीक नही होगा!
सत्य सोच थी उनकी लेकिन,
देश का मेरे क्या होगा !
देश हुआ आजाद हमारा,
आज गर्व से हम कहते!
लेकिन क्या हम कभी सोचते,
उनका मान कभी करते!
अब ख़ुद की मूर्ती लगते नेता,
स्वयं का करते ख़ुद गुणगान!
जिसने दिलवाई आजादी,
उसका करते ये अपमान!
आज देश में मारा-मारी,
भाषा-प्रांती के चलते!
लगा बाग़ आजादी का जो,
उसमे बिच्छू हैं पलते!
'शिशु' कहें हैं शुक्र न जिन्दा,
जिसने दिलवाई आजादी!
देख देश की इस हालत को,
कहते अब है बर्बादी!
कितने अरमानो के बाद!
पढ़कर मन भावुक हो जाता,
सुनकर कुर्बानी की याद !
नाम याद ही कुछ लोगों का,
उनको नमन करुँ अर्पण!
जो अनाम कुर्बान हो गए,
श्रधा सुमन करुँ अर्पण!
हत्या नही यज्ञ कहते थे,
क्रांतिवीर, अंग्रेज मारकर!
सत्य अहिंसा भी अपनाते,
गाँधी जी को सुनसुनकर!
कौन ठीक था कौन गलत,
कहना ठीक नही होगा!
सत्य सोच थी उनकी लेकिन,
देश का मेरे क्या होगा !
देश हुआ आजाद हमारा,
आज गर्व से हम कहते!
लेकिन क्या हम कभी सोचते,
उनका मान कभी करते!
अब ख़ुद की मूर्ती लगते नेता,
स्वयं का करते ख़ुद गुणगान!
जिसने दिलवाई आजादी,
उसका करते ये अपमान!
आज देश में मारा-मारी,
भाषा-प्रांती के चलते!
लगा बाग़ आजादी का जो,
उसमे बिच्छू हैं पलते!
'शिशु' कहें हैं शुक्र न जिन्दा,
जिसने दिलवाई आजादी!
देख देश की इस हालत को,
कहते अब है बर्बादी!
Tuesday, August 11, 2009
बने फिरंगी फिर रहे गली-गली गंगू तेली
गरम-गरम चाय हम पीते ठंडा पानी,
देख विदेशी बन गए हमसब हिन्दुस्तानी
पीजा मिलता यंहा पर वेज़-नानवेज
व्रत वाला भी बेचते राधे और परवेज़
मेकप मुंह पर थोपकर पुरूष घूमते आज
महिला मेकप कम ही करती इसमे गहरा राज
रिसेशन का दौर है पूरा विश्व तबाह
हिन्दुस्तान अछूता इससे हम कहते हैं 'वाह'
हिन्दी पढ़ डिग्री ले घूमे पढ़े लिखे हैं फिरते
दसवीं पढ़ अंग्रेजी वाले लिए नौकरी फिरते
बने फिरंगी फिर रहे गली-गली गंगू तेली
अजब-गजब की दाढी-बाल अनजानी है बोली
देख विदेशी बन गए हमसब हिन्दुस्तानी
पीजा मिलता यंहा पर वेज़-नानवेज
व्रत वाला भी बेचते राधे और परवेज़
मेकप मुंह पर थोपकर पुरूष घूमते आज
महिला मेकप कम ही करती इसमे गहरा राज
रिसेशन का दौर है पूरा विश्व तबाह
हिन्दुस्तान अछूता इससे हम कहते हैं 'वाह'
हिन्दी पढ़ डिग्री ले घूमे पढ़े लिखे हैं फिरते
दसवीं पढ़ अंग्रेजी वाले लिए नौकरी फिरते
बने फिरंगी फिर रहे गली-गली गंगू तेली
अजब-गजब की दाढी-बाल अनजानी है बोली
हम जैसों का होगा क्या? हम हैं बहुत निखट्टे
नौ दिन की है नौकरी, नौ महीने का काम,
नौ-नौ लोग लगे करने में ख़त्म न होता काम!
नए लोग आते गए, क्या अधिक मिलेगा दाम?
ऐसा मान काम पर लग गए, हैं पाले अरमान!
गए छोड़कर जो सभी उनका काम कमाल,
एक-आध को छोड़कर उनका नही मलाल!
नही मिला पैसा अगर तो क्या होगा हाल
छोड़ गए कुछ लोग हैं फाड़ के मकडी जाल,
उन्हें काम मिल जाएगा जो हैं हट्टे-कट्टे
हम जैसों का होगा क्या? हम हैं बहुत निखट्टे
यही सोंचकर आजकल आती नींद न रात
झूठ 'शिशु' कहता नही कहता सच्ची बात
नौ-नौ लोग लगे करने में ख़त्म न होता काम!
नए लोग आते गए, क्या अधिक मिलेगा दाम?
ऐसा मान काम पर लग गए, हैं पाले अरमान!
गए छोड़कर जो सभी उनका काम कमाल,
एक-आध को छोड़कर उनका नही मलाल!
नही मिला पैसा अगर तो क्या होगा हाल
छोड़ गए कुछ लोग हैं फाड़ के मकडी जाल,
उन्हें काम मिल जाएगा जो हैं हट्टे-कट्टे
हम जैसों का होगा क्या? हम हैं बहुत निखट्टे
यही सोंचकर आजकल आती नींद न रात
झूठ 'शिशु' कहता नही कहता सच्ची बात
Subscribe to:
Posts (Atom)
Popular Posts
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
एक परमानेंट प्रेगनेंट औरत से जब नहीं गया रहा, तो उसने भगवान् से कर-जोड़ कर कहा- भगवान् मुझे अब और बच्चे नहीं चाहिए, बच्चे भगवान् की देन ह...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
पाला पड़ा गपोड़ों से। डर लग रहा थपेड़ों से।। अर्थव्यवस्था पटरी पर आई चाय पकौड़ों से। बच्चे बिलखें कलुआ के, राहत बँटी करोड़ों से। जी...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
-
Prof. Shamsul Islam भारतीय समाज में औरत ही एक ऐसी हस्ती है, जिसका नसीब संस्कृतियों, वर्गों और धर्मों में व्यापक अंतर और भेद होने के...
-
जिला हरदोई से डाभा गाँव जाने के लिए बस के बाद ऑटो करना पड़ता है. इस गाँव के निवासी उम्दा कहानीकार के साथ ही साथ कहावतें, किदवंक्तियाँ, कही-स...
Modern ideology
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...