Monday, February 14, 2011

बाप पुलिश में डिप्टी साहब बेटा करता फेरा-फेरी....धत तेरे की!

धत तेरे की! 
पढ़ा लिखा होकर भी तू क्यों बेंच रहा झरबेरी,  
धत तेरे की! 

बाप पुलिश में डिप्टी साहब बेटा करता फेरा-फेरी, 
धत तेरे की! 

पूरे साल खूब मेहनत की, उस पर पाए धान पसेरी,
धत तेरे की! 

जब तक जिन्दा रहे ना पूछा अब मरे को दे रहे हलुआ-पूरी, 
धत तेरे की! 

हीरा के लड़के शीरा को तरसें 'शिशु' गदहे देखो खायं पंजीरी, 
धत तेरे की!

लूट मची, लुट गए खेल में भारत के करदाता...

लूट मची, लुट गए खेल में भारत के करदाता,
आँख खोल के अब तो देखो भारत की भारतमाता.

ऐसा-वैसा नहीं! गज़ब का अजब हुआ घोटाला,
लुटी तिजोरी खेल गाँव में लगा रहा पर ताला.

दूध धुला जिसको समझा था वो निकला सर्वेश,
शशि थरूर ने खाता खोला पहली बार विदेश.

सब कहते कलमाडी ही है असली भ्रष्टाचारी,
'शिशु' और भी शामिल हैं कुछ इसमें खद्दरधारी.

नौकरशाह और नेता ही अब सबके हैं भाग्यविधाता
जन गण मन अधिनायक जय हे, उनकी भारतमाता

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