धत तेरे की!
पढ़ा लिखा होकर भी तू क्यों बेंच रहा झरबेरी,
धत तेरे की!
बाप पुलिश में डिप्टी साहब बेटा करता फेरा-फेरी,
धत तेरे की!
पूरे साल खूब मेहनत की, उस पर पाए धान पसेरी,
धत तेरे की!
जब तक जिन्दा रहे ना पूछा अब मरे को दे रहे हलुआ-पूरी,
धत तेरे की!
हीरा के लड़के शीरा को तरसें 'शिशु' गदहे देखो खायं पंजीरी,
धत तेरे की!