नींद आती है बशर्ते, करार नहीं आता है।
हमारी ज़िंदगी में इतवार नहीं आता है।।
बेवजह की बहस बेग़म से करता क्यों है?
ग़ुलाम बनकर क्यूँ हार नहीं जाता है!
ध्यान रखना शाही रोगों से ए-दोस्त मेरे!
खाँसी चली जाती है, बुखार नहीं जाता है।
उससे मिलकर अच्छा भी लगता है बुरा भी,
क्यूँकि, महीनों हफ़्तों ख़ुमार नहीं जाता है।
दरम्यान-ए-दिल्ली में एक से बढ़कर एक हैं,
बुजदिन नज़र आता है पर खुद्दार नहीं आता है।
जिधर हाँकोगे, उधर चल देगी रियाया हुजूर,
गधा चला देगा लेकिन, कुम्हार नहीं जाता है।
#नज़र_नज़र_का_फ़ेर #शिशु