हर गाँव हमारा गाँव लगे!
हर शहर अजनवी जैसा क्यों?
ख़ुद आलोचनाएँ पूछें शहरी-
बतलाओ 'शिशु' है ऐसा क्यों?
क्यों गली मोहल्ले सूने हैं,
गाँवों से लोग पलायित क्यों?
खेतीबाड़ी का मोह त्याग,
शहरों के प्रति लालायित क्यों?
सब रिश्ते बदल रहे हैं क्यों,
क्यों दिल में करते लोग घाव?
अपनों में अपनापन विलुप्त,
घर में बढ़ता है क्यों दुराव?
क्यों परंपराएं बदल रहीं-
संस्कृतियों से है मोहभंग?
सभ्यता नहीं दिखती हममें,
क्यों लोग देखकर नहीं दंग?
क्यों प्रश्न बहुत ही ज़्यादा हैं,
क्यों उत्तर का है पता नहीं?
क्यों औरों में दिखतीं कमियाँ,
क्यों ख़ुद की दिखती ख़ता नहीं?
©शिशु #नज़र_नज़र_का_फ़ेर