भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी।
चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।।
गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिशु'।
कोरोना का काल भयानक, घूम रहा भूमंडल भी।।
ट्रक शायरी-2
कार चलना सीख रहा है, स्कूटी तो सीख गया।
संभल न पाता लेकिन साइकिल तक का हैंडल भी।
मामूली ख़रोंच थी लेकिन, टांकें पंद्रह बीस लगे।
साइकिल सीख रहा था जब टूटी चप्पल सैंडल भी।।
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