Saturday, July 11, 2020

ट्रक शायरी-1


भाँग,  धतूरा, गाँजा  है, माचिस,  बीड़ी-बंडल भी।
चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।।
गंगाजल की  चाहत में  क्यूँ  होते  हलकान  'शिशु'।
कोरोना का काल भयानक,  घूम रहा भूमंडल भी।।

ट्रक शायरी-2
कार  चलना  सीख  रहा है,  स्कूटी तो  सीख गया।
संभल न पाता लेकिन साइकिल तक का हैंडल भी।
मामूली  ख़रोंच थी लेकिन, टांकें  पंद्रह  बीस लगे।
साइकिल सीख रहा था जब टूटी चप्पल सैंडल भी।।

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