Tuesday, December 22, 2009

भारत की इस राजनीति में धर्म है असली खम्भा।

धर्म है राजनीति का रक्षक 'धर्मवीर' ने है फरमाया
राजनीति हो अलग धर्म से, सुन वो सब पर गरमाया
सुन वो सब पर गरमाया वोला अबे गधों के पूत
धर्म ही पहुंचाता संसद में राजनीति के असली दूत
'शिशु' कहें सुन धर्मवीर को, हुआ न हमें अचम्भा
भारत की इस राजनीति में धर्म है असली खम्भा।

धन पर धर्म सदा से हावी मंदिर में होती धनवर्षा,
गाँव गरीबी है वैसी ही बीत गया है कितना अरसा,
बीत गया है कितना अरसा, मंदिर में बिजली आती,
सूख रहे पानी बिन खेत वंहा ना बिजली आती।
कहें 'शिशु' मंदिर में दान लुटाते नेता और अभिनेता
जंहा गरीबी व्याप्त अति है उसकी फ़िक्र न कोई लेता।

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