नेता तो बस नेता है
चाहें हिन्दू चाहें मुस्लिम फिर चाहें ईसाई हो
सगे पाप को धोखा देता, चाहे उसका भाई हो
जनता तो फिर गैर-परायी उसको कुछ ना देता है
नेता तो बस नेता है।
पांच साल के बाद मिलेंगे गाँव हमारे आयेंगे
उससे पहले संसद-मंदिर में हलुआ सब खायेंगे
संसद निधि से अपनी जेब में सब धन वो भर लेता है
नेता तो बस नेता है।
खुद की मुरति पार्क लगाते खुद ही अनावरण करते
अपने चमचों को ठेका दे पैसे का जुगाड़ करते
जनता के दुख भाड़ में जाएँ, अपने दुःख हर लेता है
नेता तो बस नेता है।
चाहें हिन्दू चाहें मुस्लिम फिर चाहें ईसाई हो
सगे पाप को धोखा देता, चाहे उसका भाई हो
जनता तो फिर गैर-परायी उसको कुछ ना देता है
नेता तो बस नेता है।
पांच साल के बाद मिलेंगे गाँव हमारे आयेंगे
उससे पहले संसद-मंदिर में हलुआ सब खायेंगे
संसद निधि से अपनी जेब में सब धन वो भर लेता है
नेता तो बस नेता है।
खुद की मुरति पार्क लगाते खुद ही अनावरण करते
अपने चमचों को ठेका दे पैसे का जुगाड़ करते
जनता के दुख भाड़ में जाएँ, अपने दुःख हर लेता है
नेता तो बस नेता है।