ऐसा कहते हैं की भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। आज जो किसानो की हालत है वह किसी से छुपी नही है. जो भी अखबार पड़ता हैं न्यूज़ देखता है उसे हो पता ही होगा की किसान कितनी संख्या में आत्महत्या करने पर मजबूर हैं. अब यदि ऐसे में कहा जाए की उनको बोनस मिलता हैं या नही. चर्चा करना बेकार है.
आपने ऐसा कम ही सुना होगा की दीवाली के बाद किसी को बोनस मिला हो. लेकिन यह सत्य है. और वह बोनस देता है किसान अपने बैलों को. उत्तर भारत में ऐसी प्रथा है की दीवाली के अगले दिन बैलों को काम पर नही लगाया जाता. उस दिन उनकी छुट्टी रहती है. किसान खुद भी उस दिन आराम करते हैं. उस दिन किसान अपने बैलों को नहलाता है उनकी पूजा करता है और उन्हें अच्छा से अच्छा पकवान भी खिलाता है. तो अब यदि किसान अपने बैलों को बोनस देता है तो किसानो को भी बोनस मिलना चाहिए ये एक अनुत्तरित प्रशन है.