Sunday, May 27, 2018

कुछ अपनेपन की बात करो, कुछ सपनों की सौग़ात करो।

कुछ अपनेपन की बात करो,
कुछ सपनों की सौग़ात करो।
दिनभर की थकन मिटाने को,
आराम की प्रिय अब बात करो।।

दिन का ढलना निश्चित होगा-
तुम रात की रानी बनिये तो!
मैं ध्यान लगाकर सुनता हूँ,
तुम एक कहानी बनिये तो!

ये कविता, गीत, कहानी सब
कल्पना उड़ानों की बातें।
लेकिन तुम एक हक़ीक़त हो,
तुम हो तो दिन, तुमसे रातें।

इसलिये तुम्हारी शक्ति पर
विश्वास सभी करते हैं प्रिय।
सब कार्य पूर्ण होंगें तुमसे,
ये आश सभी करते हैं प्रिय।

Popular Posts

Modern ideology

I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...