Wednesday, November 4, 2020

हमारे और तुम्हारे मोहल्ले में इतना सा ही अंतर है...

हमारे और तुम्हारे मोहल्ले में इतना सा ही अंतर है...

तुम्हारे मोहल्ले में  कबाड़ी बहुत हैं।
हमारे मोहल्ले में  जुगाड़ी  बहुत हैं।।

हमारे मोहल्ले में सबको ख़बर है-
तुम्हारे मोहल्ले में अनाड़ी बहुत हैं।

दुकानदार हमारे मोहल्ले का कहता-
तुम्हारे मोहल्ले पे उधारी बहुत है।।

ताश की गड्डी हमारे मोहल्ले की है।
तुम्हारे मोहल्ले में जुआरी बहुत हैं।।

तुम्हारे मोहल्ले में  बंदर-बंदरिया हैं।
हमारे  मोहल्ले में  मदारी  बहुत हैं।।

हमारे  मोहल्ले  में  चिंता  न फ़िक्र।
तुम्हारे मोहल्ले में दुनियादारी बहुत है।

हमारा मोहल्ला अब शोहदों से मुक्त।
तुम्हारे मोहल्ले में 'पटवारी' बहुत हैं।😊

#नज़र_नज़र_का_फ़ेर #शिशु

Tuesday, November 3, 2020

अब मेरी सुधि में तुम पथ पर दीप जलाये मत रखना ।।

अब मेरी सुधि में तुम पथ पर 
दीप जलाये मत रखना ।।

मैं सागर में खोयी नौका,
कब जाने किस छोर लगूँ ।
और तुम्हारा कुसुमित जीवन,
खिलकर फिर मुरझा जायेगा ।
माना, मन से मन के विनिमय
में, कुछ मोल नहीं चलता है ।
फिर तुम सा, मुझ जैसे को
पाकर भी क्या कुछ पायेगा ।।

यक्ष-प्रश्न जीवन के जितने 
सुलझा पाओ, सुलझा देना ।
पर इन प्रश्नों मे ही जीवन, 
तुम उलझाए मत रखना ।।

जिसके आगे भोर न होगी,
ऐसी कोई रात नहीं है ।
कौन घाव ऐसा जीवन का,
समय न जिसको भर पाया है ।।
जीवन खुशियों का मेला ही
नहीं, अपितु दुख भी सहने हैं ।
सबको मनचाहा मिल जाये,
यह संभव हो कब पाया है ।।

अपने हिस्से के सारे सुख,
जितने चुन पाओ चुन लेना ।
लेकिन मन में गिरह लगाकर,
दर्द पराये मत रखना ।।

-चन्द्रेश शेखर

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