जुमले - वादे - झूठों से।
प्रजातंत्र - की - लूटों से।।
काँटों से बचना आसान,
मुश्किल लेकिन -ठूठों से।।
छुट्टा साँड़ समझ में आता,
गाय छुटी क्यों - खूँटों से?
हाल बराबर लेता रहता,
खेतिहर अपने- रूठों से।
निर्दयता, बर्बरता की बू-
आती क्यों है बूटों से ?
एसपी साहब भी हलकान!
नए - नए - रंग - रूटों से...
#शिशु #नज़र_नज़र_का_फ़ेर