अंदर अबतक राहत है!
बाहर पर घबराहट है।
बेमतलब करते हो याद!
दिनभर आती आहट है।
मेरे मरने पर इतना दुःख!
दीये जले, सजावट है।
सच में, दुःख के आँसू थे!
छोड़ो अजी बनावट है।
यारों तक ने जश्न मनाया,
इस हदतक कडुआहट है!
#नज़र_नज़र_का_फ़ेर #शिशु #राहतइन्दौरी