हल्का फुल्का अंदाज़😊
रात में चश्मा लगाते हो मियाँ काला।
देखकर चलना 'हियाँ' गहरा बहुत नाला।।
आँख में सुरमा लगा था, कान में बाला।
देखकर बेहाल 'बन्ने' हो गए खाला।।
कह रहा था रात में बारिश बहुत होगी,
देखकर निराश छोटा सा हुआ 'झाला'।
कुछ बाराती सोच में थे, मैं कहाँ बैठूँ।
दोस्तों 'हम' बैठ गए खोलकर 'डाला'।
हद से ज़्यादा हो गईं हैं छिपकिली घर में,
मकड़ियों को जान बूझ है गया पाला।।
शब्दार्थ:
हियाँ: यहाँ
झाला: हल्की बारिश, आई और गई।
डाला: टैक्टर की ट्राली में पीछे की तरफ, जंजीर खोलकर बनाई गई जगह।
पाला: पालतू
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