अश्रु बहे जो नयनों से,
वो मेरे नहीं अकेले थे।
प्रिय भी उन दुख में शामिल थे,
जो कष्ट दिलों ने झेले थे।।
अधरों पर थे शब्द अधूरे,
जब हम बिछड़ रहे थे।
नहीं भूलना प्रियतम मुझको,
दिल दोनों के बोल रहे थे।।
व्यथा हृदय में ऐसी थी कुछ,
प्रियतम अब आयेंगे कब तक।
ये सोच के मन घबराता था,
कहीं प्राण निकल ना जाये तबतक।।
क्या प्रीति की रीति यही होती,
कि मिलन के बाद जुदाई हो।
जब मिले प्रिया-प्रीतम दोनों,
ऐसी बेला क्यों आयी हो।।
यह सोच रही थी मन ही मन,
आंशू की धारा बह निकली।
प्रिय चले गये एक पल ही में,
मैं खड़ी रही जैसे पगली।।
घर पहुंची कैसे द्वार खुला,
कुछ मालून नहीं पड़ा मुझको।
मैं बैठ गयी सिर टिका पलंग,
फिर याद किया दिल ने उनको।।
यादें जीवन का हिस्सा हैं,
उनको कोई बिसराये क्यों।
बोले थे प्रिय आकर एकदम,
वो कैसे यहां छिपाऊ क्यों।।
जिस तरह मिलन में प्यार बड़ा,
उस तरह जुदाई ना होती।
लेकिन वो वक्त जुदाई का,
उस प्यार को और बढ़ा देती।।
कहते हैं लोग मिले हरदम,
दूरी मिट जाये एकपल में।
लेकिन क्या सत्य ये सम्भव है,
खुशियाँ आयेगी हरपल में।।
उन प्यार भरी इन यादों से,
मुस्कान दौड़ गयी अधरों पर।
फिर मिलेंगें जल्दी हम दोनों,
खुशियों के अच्छे मौके पर।।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
जिला हरदोई से डाभा गाँव जाने के लिए बस के बाद ऑटो करना पड़ता है. इस गाँव के निवासी उम्दा कहानीकार के साथ ही साथ कहावतें, किदवंक्तियाँ, कही-स...
-
एक परमानेंट प्रेगनेंट औरत से जब नहीं गया रहा, तो उसने भगवान् से कर-जोड़ कर कहा- भगवान् मुझे अब और बच्चे नहीं चाहिए, बच्चे भगवान् की देन ह...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
-
इंतज़ार है पक्का शत्रु, उस पर कर न यकीन जीना शान से चाह रहे तो ख़ुद को समझ न दीन ख़ुद को समझ न दीन काम कल पर ना छोड़ो लगन से करके काम दाम फल स...
-
पाला पड़ा गपोड़ों से। डर लग रहा थपेड़ों से।। अर्थव्यवस्था पटरी पर आई चाय पकौड़ों से। बच्चे बिलखें कलुआ के, राहत बँटी करोड़ों से। जी...
-
रंग हमारा हरेरे की तरह है. तुमने समझा इसे अँधेरे की तरह है. करतूतें उनकी उजागर हो गई हैं, लिपट रहे जो लभेरे की तरह हैं. ज़िंदगी अस्त व्यस्त ...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
Modern ideology
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
No comments:
Post a Comment