Wednesday, March 31, 2010

क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

सही कहा इसलिए चल दिए लेकर तीर-कमान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

बड़बोलापन दिखता मुझमे कुछ ऐसा ही लो मान...
अबसे राय नहीं दूंगा मैं इतना भी लो जान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

मैं हूँ तुक्ष जीव इस युग का आप हैं बहुत महान...
आप हैं इन्द्र का इन्द्रासन जी हम हैं मीन सामान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

आप दूध से धुले हुए हैं हम कोयले की खान...
मैं क्या हूँ? औकात क्या मेरी? मेरी नन्ही जान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...
क्षमा करो श्रीमान... जान अज्ञानी मुझको मान...

1 comment:

सीमा सचदेव said...

aapki bhaavnaayen hirday se nikal kar bikhar rahi hai

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