Sunday, October 21, 2012

बाबा! चेला बन जाऊं मै या बन जाऊं नेता?

भक्त!
एवमस्त!
 
बाबा! चेला बन जाऊं मै या बन जाऊं नेता,
या बन जाऊं पोल खोलने वाला या फिर अभिनेता?
 
भक्त! आजकल बाबा हों, चाहें हों सरकार
बिना मीडिया के दोनों ही पूरे हैं बेकार
नेता की भी बिना मीडिया ना कोई पहचान
पोल खोलने वालों का भी इसके बिना न मान
 
इसीलिये है एक सलाह!
समझ इसे तू नेक सलाह!
 
चैनल खबरी खोल एक ले,
कुछ चंदा मै दूंगा कुछ देगी सरकार
कुछ देगें नेता अभिनेता
बैंक से ले ले और उधार
 
समझा!
ऐसे होगी नैया पार...
ऐसे होगी नैया पार...

Wednesday, April 4, 2012

चाह नहीं बन मुख्यमंत्री, फोटो अपनी मैं लगवाऊं.

चाह नहीं संसद की कुर्सी पिछवाड़े अपने चिपकाऊं.
चाह नहीं बन मुख्यमंत्री, फोटो अपनी ही लगवाऊं. 
चाह नहीं अन्ना की टीम जैसी दुर्गति मैं करवाऊं. 
मेरी चाह बड़ी साधारण साधारण ही मैं कहलाऊं...

चाह नहीं बढ़ जाए सैलरी चापलूस की श्रेणी पाऊं. 
चाह नहीं दूजों के काम में रोड़ा बीच में मैं अटकाऊं.
चाह नहीं है काम छोड़कर छुट्टी लेकर घर मैं जाऊं. 
मेहनत की है, मेहनत का फल मेहनत से ही मैं फिर पाऊं. 

चाह नहीं अमिताभ साथ में मैं अपनी फोटो खिंचवाऊं 
चाह नहीं ऐश्वर्या के बच्चे का नाम सुझाऊं 
चाह नहीं एनजीओ का मैं डायरेक्टर कहलाऊं 
'शिशु' की यही हार्दिक इच्छा बच्चा फिर से मैं बन जाऊं. 

Friday, January 27, 2012


१ 
कब तक तेरी राह तकूँ मैं 
कब तक चाहूँ तुझको! 
जनम-जनम का रिश्ता कहकर
तो ठगती है मुझको !! 
२ 
नयी चाल चल रहा चुनाव
बोला - देना वोट जरूरी!
सोच समझ कर देना वोट
ये तेरी मजबूरी!!
देश महान बना नेता से,
नेता जी ही चोर!
पांच साल तक नज़र न आये, 
अभी मचाते शोर !!
'शिशु' आंख से मोती टपके, 
पलके भीग गयीं मेरी!
कितने दिन हो गए मिलन को 
अब तो मत कर तू देरी!!
कल, मिली पार्क में पहली वाली 
कहता था जिसको दिलवाली!
आह एक दिल से है निकली,
बोला दिल ने धत साली!!

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