Sunday, October 21, 2012

बाबा! चेला बन जाऊं मै या बन जाऊं नेता?

भक्त!
एवमस्त!
 
बाबा! चेला बन जाऊं मै या बन जाऊं नेता,
या बन जाऊं पोल खोलने वाला या फिर अभिनेता?
 
भक्त! आजकल बाबा हों, चाहें हों सरकार
बिना मीडिया के दोनों ही पूरे हैं बेकार
नेता की भी बिना मीडिया ना कोई पहचान
पोल खोलने वालों का भी इसके बिना न मान
 
इसीलिये है एक सलाह!
समझ इसे तू नेक सलाह!
 
चैनल खबरी खोल एक ले,
कुछ चंदा मै दूंगा कुछ देगी सरकार
कुछ देगें नेता अभिनेता
बैंक से ले ले और उधार
 
समझा!
ऐसे होगी नैया पार...
ऐसे होगी नैया पार...

1 comment:

Vinay said...

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।

ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...

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