इस दीपोत्सव के अवसर पर-
यदि कहीं प्यार की सेल दिखे,
कुछ ऐसा मेला, मेल दिखे-
आशीष में भारी छूट दिखे,
सम्मान भी अगर अटूट दिखे,
आकर एक बार बता देना-
उस सेल में जाना चाहूँगा,
वो छूट उठाना चाहूँगा!!!
रंग हमारा हरेरे की तरह है. तुमने समझा इसे अँधेरे की तरह है. करतूतें उनकी उजागर हो गई हैं, लिपट रहे जो लभेरे की तरह हैं. ज़िंदगी अस्त व्यस्त ...
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