इस समय जो परिस्थिति है
हमारे देश की जो स्थिति है
वही हमारे पड़ोसी मुल्क की है
फिर भी उसके दिमाग की बत्ती गुल है
हम परेशान हैं कि हर बार की तरह इस बार भी,
हमारे देश को ही क्यूँ चुना?
वो भी हैरान हैं कि हर बार की तरह इस बार भी,
हमारे देश का ही नाम क्यूँ चुना?
वो कहते हैं कि हमारे देश को बदनाम क्यूँ करते हो?
हम कहते हैं कि हमारे देश में ही क्यूँ तुम यह काम करते हो?
वो कहते हैं कि हमें पता नही कि दहशतगर्द कंहा रहते,
हम कहते हैं कि एक बार आने दो हमें,
हम पता कर लेंगे कि वो कंहा - कंहा नही रहते!
आतंक, दहशतगर्दी वो सिर्फ़ जेहाद के लिए करते हैं
हम बार बार उनसे प्रार्थना करते हैं
क्या खुदा इसी से खुश होगा?
तुम्हे इसके बदले दुआ में क्या - क्या देगा?
अब इससे पहले खुदा उन्हें कुछ दे
हम प्रार्थना के बदले उन्हें मौत देंगे
'शिशु' इस देश की बात नही करते
पुरे विश्व में दहशतगर्दों को सख्त सज़ा देंगे
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
एक परमानेंट प्रेगनेंट औरत से जब नहीं गया रहा, तो उसने भगवान् से कर-जोड़ कर कहा- भगवान् मुझे अब और बच्चे नहीं चाहिए, बच्चे भगवान् की देन ह...
-
पाला पड़ा गपोड़ों से। डर लग रहा थपेड़ों से।। अर्थव्यवस्था पटरी पर आई चाय पकौड़ों से। बच्चे बिलखें कलुआ के, राहत बँटी करोड़ों से। जी...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
जिला हरदोई से डाभा गाँव जाने के लिए बस के बाद ऑटो करना पड़ता है. इस गाँव के निवासी उम्दा कहानीकार के साथ ही साथ कहावतें, किदवंक्तियाँ, कही-स...
-
रंग हमारा हरेरे की तरह है. तुमने समझा इसे अँधेरे की तरह है. करतूतें उनकी उजागर हो गई हैं, लिपट रहे जो लभेरे की तरह हैं. ज़िंदगी अस्त व्यस्त ...
Modern ideology
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
5 comments:
आतंक, दहशतगर्दी को जिहाद कहना उचित नहीं है. जिहाद ख़ुद के ख़िलाफ़ किया जाता है - झूट, हिंसा, नफरत, बेईमानी जैसे कितने मुद्दे हैं जिनके ख़िलाफ़ जिहाद किया जाता है. आज कल जिहाद कौन करता है? जिहाद के नाम पर आतंक मचाते हैं, जो अल्लाह के ख़िलाफ़ अपराध है.
good luck. narayan narayan
जेहाद के नाम पर पागलपन ईश्वर की दृष्टि में और भी बड़ा अपराध हो जायेगा.
बहुत बढिया व सामयिक रचना है।बधाई।
शिशु भाई !
आप के लिए यह चाँद पक्तिया लिही है >>>>
है बुलंद इरादे असमानों से ,
चल पड़े टकराने तोफानो से !
जब आग जली ली सीने में,
फिर क्या घबराना ज़माने से !
नज़र नज़र का फेर नही,
कलम का यह अनमोल नजराना है
जलने जलाने की बात है क्या ,
शिशु तो ख़ुद एक परवाना है !!
शुभकामनाओं सहित
सुधीर
Post a Comment