Wednesday, March 25, 2009

खास आदमी चमचा बनकर पा लेता ऐशोआराम

चाँद चाँदनी दोनों है पर चाँद नही मेरा
चाँद अभी है वैजानिक का उसपर है उसका डेरा

सड़के नही आम लोगों की कुछ खास लोग ही उसपर हैं
खास लोग बंगलों में रहते आम लोग सड़कों पर हैं

आम आदमी करता काम बदले में मिलता कम दाम
खास आदमी चमचा बनकर पा लेता ऐशोआराम

आम आदमी सोता-रोता हँसता कभी कभी
खास आदमी हँसता रहता सोता कभी कभी

आम आदमी ने छेड़ी है अब रोटी पर जंग
खास आदमी खाकर पीजा बोला मैं हूँ तेरे संग

1 comment:

Madhaw said...

जीवन में हमारे सामने कई तरह के सवाल आते हैं... कभी वो अर्थ के होते हैं... कभी अर्थहीन.. अगर आपके पास हैं कुछ अर्थहीन सवाल या दें सकते हैं अर्थहीन सवालों के जवाब तो यहां क्लिक करिए

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