Friday, September 18, 2009

अभी-अभी मैंने यह जाना, मैं हूँ क्यूँ इतना बेढंगा.

अभी-अभी मैंने यह जाना, मैं हूँ क्यूँ इतना बेढंगा,
अभी समझ में मेरे आया पहले मैं था क्यूँ चंगा।

उससे पहले मैं था नेक, ऐसा सभी बोलते हैं,
अभी सभी वो दोस्त हमारे मेरा भेद खोलते हैं।

इससे पहले मैंने भी तो सबको भ्रम में था डाला,
उससे पहले उनका भी तो मुझसे पड़ा नही पाला।

अभी, कभी कुछ लोग मुझे फिर पहले सा ना देते भाव,
मैं भी तो उनसब लोगो से ना लेता मिलने में चाव।

पर ये बातें ठीक न होती इससे बढ़ जाती कटुता,
इसीलिये 'शिशु' शिशु से कहते ख़ुद का मान भी है घटता।

1 comment:

M VERMA said...

अच्छी रचना है

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