धरना वाले भी हैं पीड़ित वो भी उससे ग्रस्त,
वो धरने से ग्रस्त, कष्ट में अब जनता है सारी
कम हो कैसे मंहगाई जबकि भ्रष्ट तंत्र है ये सरकारी
'शिशु' कहें दोस्तों अगर मंहगाई दूर है करना
बोल रही भाजपा अब होगा धरने पर धरना
रंग हमारा हरेरे की तरह है. तुमने समझा इसे अँधेरे की तरह है. करतूतें उनकी उजागर हो गई हैं, लिपट रहे जो लभेरे की तरह हैं. ज़िंदगी अस्त व्यस्त ...
1 comment:
bilkul thik kaha aapne
in sab ke baad mansik tanaw paida hota h
mahol kharaab hota hain
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