रहो सदा संतुष्ट घोर वर्षा कि धूप में,
गर्मी हो या शीत, लालिमा रखना मुख पर.
नफ़रत मुझको कमजोरी और पीतवर्ण से,
जो न हँसे उसको ले लटकाओ सूली पर..
- प्लेखानव (रूस के क्रांतिकारी कवि)
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1 comment:
kavita bahut achchhee lagee shishu ji.
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