हसरते लखनऊ, दिल में बसी दिल्ली है,
हरदोई रग-रग में भीतर तक समाया है।
सुनते हैं कुरसथ तो होठ खिल जाते हैं,
नागपुर तन-मन में उतना ही भाया है।।
ताम-झाम दूर रहे 'भावना' ये रहती है,
मेहनत से काम करूँ! नाम कुछ कमाया है।
क्षमता है सीखने की ललक अभी बाकी है,
'शिशु' 'हार्दिक' उसकी की छत्र-छाया है।।
हरदोई रग-रग में भीतर तक समाया है।
सुनते हैं कुरसथ तो होठ खिल जाते हैं,
नागपुर तन-मन में उतना ही भाया है।।
ताम-झाम दूर रहे 'भावना' ये रहती है,
मेहनत से काम करूँ! नाम कुछ कमाया है।
क्षमता है सीखने की ललक अभी बाकी है,
'शिशु' 'हार्दिक' उसकी की छत्र-छाया है।।
No comments:
Post a Comment