विगत कुछ वर्षों से हम आधुनिक भारत में रह रहे हैं। क्योंकि देश अब देशभक्ति के अप्रितम दौर से गुजर रहा है। देश के कोने-कोने से लोग राष्ट्रभक्ति की अपनी-अपनी परिभाषा गढ़ रहे हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश देशभक्ति के चरम आनंद को प्राप्त करने के लिए नित नई खोज में कार्यरत है। युवा वर्ग को रोज़गार से ज़्यादा देशभक्ति का जप करने में मजा आ रहा है, ठीक वैसे जैसे जै श्रीराम कहने से मंदिर वहीं बनायेंगें की भावना जागृत हो जाती है।
सोशल मीडिया का तो कहना ही क्या, यहाँ तो उठते ही देशभक्ति के नारों की गूँज सुनाई देने लगती है। लाइक और कमेंट प्राप्त करने के लिए लोग एक दूसरे को ट्रोल (देशी भाषा में कहने का मतलब है, ग़ाली गलौज) करने से लेकर मार पिटाई, बलात्कार जैसी धमकी देना आम बात है। आमने-सामने की लड़ाई, मानसिक लड़ाई में बदल गई है। फ़ॉर्वर्डेड मैसेज आते ही वास्तविकता को सोचे समझे बिना ही बहसों का दौर शुरू हो जाता है। इसे देश भक्ति की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगें?
इधर लोकतंत्र की तीसरी आँख कही जाने वाली मीडिया का भी यही हाल है। चैनल दो धड़ों में विभाजित हैं, जहां एक तरफ खबरों की चर्चा हो रही होती है वहीं दूसरे चैनल पर देशद्रोहियों की झूठी खबरों को दिखाकर टीआरपी का खेल खेला जा रहा है। खबरों की प्रतियोगिता में मसाले लगाकर जीरे की छौंक दी जाती है। ऐंकर्स लोकप्रियता के मायने में नायक और नायिकाओं को पीछे छोड़ रहे हैं और ख़बरों की ऐसी की तैसी हो रही है।
धार्मिक आंदोलनों के द्वारा सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाले धर्म गुरु अध्यात्म का ज्ञान देने की बजाय देशी और स्वदेशी का ज्ञान पेलकर मुनाफ़े के सौदागरों को टक्कर दे रहे हैं। उन्होंने अपना अलग एक एजेन्डा सेट कर लिया है।
लेखक, आलोचक, कवि तथा साहित्यिक गतिविधियों के ज्ञाता साहित्य से ज़्यादा देशप्रेम की कविताओं, लेखों को पत्रिकाओं द्वारा, सम्मेलनों द्वारा जनता में परोस रहे हैं। कमाल की बात है कि, इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान के वातावरण को जीवंत कर दिया है।
यह वह दौर है जब देशद्रोही और देशप्रेमी दोनों एक दूसरे को द्रोही कह कर संबोधित कर रहे हैं। कब कौन देशद्रोही देशप्रेमी बन जाये और कब कौन देशप्रेमी देशद्रोही हो जाएगा यह लंबी बहस का विषय है। वातावरण देशप्रेम से ओतप्रेत है। सांस बाहर छोड़ो सांस अंदर लीजिये, देखिये कैसा देशप्रेम से सरोबार हो जाएंगें। प्रदूषित और जहरीली हवा में भी आपको आनंद के चरम की प्राप्ति होगी। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हिंसा, अपराध इन सबका एक ही इलाज है देशभक्ति। ऐसा लगता है:- "सब मर्जों की एक दवाई, देशभक्ति है भाई।
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