Sunday, September 30, 2018

नज़र नज़र का फ़ेर, सबको कर दे ढेर।

नज़र नज़र का फ़ेर, सबको कर दे ढेर।😊

जिनने लूट अपना देश,
भाग गये परदेश।
बैंक आजकल खोज रहे,
बचे हुए अवशेष।।
😢
बैंक आधुनिक साहूकार,
अब चोर बन गए नेता हैं।
कर्ज ले रहा बड़ा आदमी
वापस कभी न देता है।।

पत्रकार हो महाप्रचारक,
मूढ़ बना हो जहाँ विचारक,
ऐसे देशों में घटनाएँ होंगी
सच में हृदय विदारक।
😊
खेल-खेल में जहाँ घोटाला,
लूटी तिजोरी लगा हो ताला।
कैसे रुकेगा ऐसे हाल में,
दुनियाँ भरका गड़बड़झाला।
😊
तड़ीपार जो कभी रहा था
देश भक्ति का ज्ञान दे रहा,
बेवकूफ मतदाता उसकी,
बातों पर भी कान दे रहा।।
😊

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