जो हो गए बर्बाद सब, उसमें हमारा हाथ!
आवाम खुश हो रही सुनकर हमारी बात!!
तुम कह रहे हो हारना मेरा नहीं उसूल है,
सब्र कीजिए, अमा दिख जाएगी औक़ात।।
तुमको चमकते शहर से फुर्सत मिले अगर,
गुर्बत भी देख लेना 'शिशु' आकर हमारे साथ।
सोचता हूँ, शब को लिखना पड़ा ग़र दिन,
दिन के उजाले में लिखूँगा खुशनसीब रात!!
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