फूलमती गोबर उठा रही थीं कि अचानक गनेशवा ने जले पर नमक छिड़कते हुए कहा, काहे जिया (दीदी), किसका का गोबर उठाई रही हैं।
फूलमती ने उलझे बालों को झटकते हुए झल्लाकर कहा, नासपीटा कहीं का। गोबर भैंस का हो या गाय का उठाना तो हमें ही पड़ेगा, जा अपने जीजा से पूँछ। गाय पर प्रवचन झाड़ रहे हैं, एक दिन भी बताएं जब गोबर उठाया हो और उस पर गाय और भैंस के गोबर में फर्क भी न कर पाएंगे।
गनेशवा यही तो चाहता था। उसका ये सब सुनकर पेट भरता था। पेट पर हाँथ फेरकर एक लंबी डकार लेकर बोला, जिया हमका काहे गारी दे रही हैं। हमका बिगाड़े हैं। हम सुने हैं कि आप गाय के अलग और भैंस के अलग कंडे पाथथीं हैं, सुना है आजकल गाय वाले बहुत डिमांड में है।
फूलमती ने मुँह बिदकाकर कहा, काहे बाबा रामदेव से डर लगताहै का, सो हमसे पूछ रहा है। फायदा नहीं होता तो क्या ऐसे ही इतना महंगा बिकता। सब बीमारी हजारी इसी से ठीक हो जाती हैं, हाँ नहीं तो क्या?
गनेसवा ने गुटखा फाड़कर मुँह में डाला और असली मुद्दे पर आ गया। तो अबकी बहन जी को जिता रही हो जिया।
काहे तुम्हारी काहे छाती फटी जा रही है, महिला जीत जाए तब भी परेशानी और हार जाए तो चटकारे लेकर उड़ाओ मजाक। तुम बहन..दों को अपनी बहन से नहीं दूसरों की माँ बहनों से से परेशानी है।
गनेशवा थूंक गटककर बोला, तुम से न जीजा जीत पायेंगें न ही यह गाँव। मायके में रहती हैं अबकी परधानी का एलक्शन लड़ जाइए। कोई नहीं हरा पायेगा।
फूलमती हीं हीं करके हंस दीं। गनेशवा ब्रम्ह राक्षस की तरफ बथान से गायब हो गया।
Monday, April 8, 2019
फूलमती
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है! बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है!! आँख में दरिया है सबके दिल में है सबके पहाड़ आदमी भूगो...
-
एक परमानेंट प्रेगनेंट औरत से जब नहीं गया रहा, तो उसने भगवान् से कर-जोड़ कर कहा- भगवान् मुझे अब और बच्चे नहीं चाहिए, बच्चे भगवान् की देन ह...
-
पाला पड़ा गपोड़ों से। डर लग रहा थपेड़ों से।। अर्थव्यवस्था पटरी पर आई चाय पकौड़ों से। बच्चे बिलखें कलुआ के, राहत बँटी करोड़ों से। जी...
-
हमने स्कूल के दिनों में एक दोहा पढ़ा था। जो इस प्रकार था- धन यदि गया, गया नहीं कुछ भी, स्वास्थ्य गये कुछ जाता है सदाचार यदि गया मनुज का सब कु...
-
भाँग, धतूरा, गाँजा है, माचिस, बीड़ी-बंडल भी। चिलम, जटाएँ, डमरू है, कर में लिए कमंडल भी।। गंगाजल की चाहत में क्यूँ होते हलकान 'शिश...
-
Prof. Shamsul Islam भारतीय समाज में औरत ही एक ऐसी हस्ती है, जिसका नसीब संस्कृतियों, वर्गों और धर्मों में व्यापक अंतर और भेद होने के...
-
जिला हरदोई से डाभा गाँव जाने के लिए बस के बाद ऑटो करना पड़ता है. इस गाँव के निवासी उम्दा कहानीकार के साथ ही साथ कहावतें, किदवंक्तियाँ, कही-स...
Modern ideology
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
-
तुम कहते हो, तुम्हारा कोई दुश्मन नहीं है, अफसोस? मेरे दोस्त, इस शेखी में दम नहीं है जो शामिल होता है फर्ज की लड़ाई मे, जिस बहादुर लड़ते ही हैं...
-
नौकरी के नौ काम दसवां काम हाँ हजूरी फिर भी मिलती नही मजूरी पूरी मिलती नही मजूरी जीना भी तो बहुत जरूरी इसीलिये कहते हैं भइया कम करो बस यही जर...
-
I can confidently say that religion has never been an issue in our village. Over the past 10 years, however, there have been a few changes...
No comments:
Post a Comment