Friday, May 22, 2009

कठिन काम गार्ड का है बाहर ही बैठा रहता

कठिन काम गार्ड का है बाहर ही बैठा रहता,
गर्मी, सर्दी, बरसातों की असली मार है सहता

घंटे १२ ड्यूटी करता, हरदम हँसता जाता
फिर भी अन्दर वालों से वह पैसा कम ही पाता

कहीं भूल से कोई अन्दर बिना पूछ कोई जाता
अगले दिन ही मालिक की वह कड़ी डांट पा जाता

भूल से भी यदि कहीं रात में नीद उसे आ जाती
अगले दिन की उसकी काम से छुट्टी कर दी जाती

'शिशु' की विनती ऑफिस से उसको कूलर दिलवादो
कुछ पैसा हम लोग लगायें कुछ ऑफिस से दिलवादो

3 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सही बात है.
गार्ड भी इंसान है, उसे मूलभूत सुविधायें तो मिलनी ही चाहिए.

Vinay said...

छाए रहो बंधु, कैसे हो?

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

achchhi baat kahi hai ...

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