Monday, December 7, 2009

जाना रोज देखने खेल भले भायें न भाएँ।

१.
रेड्डी-पटरी वालों पर अब गिराने वाली गाज-
गाज वो भी सरकारी....
उन्हें हटाने की दिल्ली से हो रही दुखद तैयारी-
तैयारी उन पर भारी...
बोल रही सरकार उन्हें हटना ही होगा.
तभी सफाई खेल-खेल में दिखलाई देगी,
यही आम नागरिक की भागीदारी होगी...

२.
पैदल चलना सड़क पर अब मुश्किल होगा-
अगर पुडिया खाई या पान...
थूक दिया यदि धोके से समझो-
आफत में जान, बनोगे सरकारी मेहमान...
खेल में खाना यदि पुडिया पान-
गले में बांधना साफ़ थूकदान,
तभी तुम सभ्य कहलाओगे...
देश का मान बढ़ाओगे...
देश का मान बढ़ाओगे...

३.
भीख मिलेगी सरकारी,
भिखारी हैं सब भौचक्के-
सुनकर खुशखबरी...
मुफ्त मिलेगा सेल्टर उनको
होगी उससे भी बेखबरी...
शर्त बस इतनी होगी...
सड़क पर भीख ना मांगे,
और जब तक होवें खेल
रात दिन वो ना जागें।
'शिशु' कहें दोस्तों खेल क्या-क्या न कराएं,
काम बंद करवा लोगों से भीख मंगाएं,
जाना रोज देखने खेल भले भायें न भायें।

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बढिया लिखा। इन से और क्या उम्मीद की जा सकती है। खेलो के बाद फिर वही हाल हो जाएगा।

Anonymous said...

weldone sir

Popular Posts

Internship

After learning typing from Hardoi and completing my graduation, I went to Meerut with the enthusiasm that I would get a job easily in a priv...