Tuesday, November 11, 2008

हमारा हीरा, रोबोट हीरा है


लीजिये हीरा रोबोट बन गया। इससे पहले की आप हीरा रोबोट की कहानी पढ़े हीरा के बारे में जान लेना आवश्यक है. हमारा हीरा कोई मूल्यवान आभूषण न होकर एक आम इंसान है, नही, एक खास इंसान है. दरअसल उसका नाम हीरा है और वह एक इंसान है इसलिए हम इस हीरा की बात करेंगे न की उस हीरा है.

हीरा हमारे ऑफिस का सहकर्मी है। जो हमारे साथ काम करते हुए भी हमारा नही है. बात यह है की हीरा की कंपनी ने हमें यह हीरा दिया. हीरा की कंपनी ने हमें सपोर्ट स्टाफ और ऑफिस के लिए जगह मुहैया कराई है.

हीरा से मेरी पहली मुलाकात इस वर्ष फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में हुई थी। यहाँ हम हीरा के मूल निवास का जिक्र नही करेंगे क्योंकि उससे इंसान की पहचान करना इंसानियत नही। ऐसा मैं नही बल्कि विद्वान लोग कहते हैं। और मैं कोई विद्वान तो हूँ नही। ऐसा कहते हैं देश और समाज को चलाने वाले। खैर छोडिये इस बहस को और आइये कहानी पर गौर करें.

हम बात कर रहें हैं की हीरा हीरा न होकर रोबोट कैसे है। इस पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे. बात यह है की हमारा हीरा ऑफिस के सभी कर्मचारियों का सामान रूप से सम्मान करता है उसकी नजर में रजा और रंक वाली भावना नही है. वह ऑफिस में अधिकारीयों से लेकर कमचारियों तक सभी का काम करता है. वह हर किसी के आर्डर को गंभीरता से लेता है. हमारा हीरा सभी की बात को सुनता, समझता और उसका पालन करता. हीरा बैंक के काम से लेकर ऑफिस स्टाफ के लिए सिगरेट लाना, खाना लाना, डस्टिंग करना चाय देना. आदि सभी प्रकार के काम करता है. मैंने हीरा को कभी भी काम से जी चुराते नही देखा. फिर चाहे कोई काम हो हीरा कभी न नही करता. भले ही हीरा को उस काम की जानकारी हो या न हो.

हमारे हीरा की जान पहचान भी कम नही है। किसी भी बैंक में का नाम लीजिये हीरा का कोई न कोई न कोई उस बैंक में होगा ही. हीरा किसी को भी शिकायत का मौका नही देता. हीरा की सबसे बड़ी खूबी यह है की हीरा समय का बहुत पाबन्द है. हीरा का ऑफिस टाइम जैसे ही खत्म हुआ समझो हमारा हीरा अपने घर का हीरा हो जाता है.

अमूमन चार बजे के चाय हीरा है सबको देता है। बस चाय के कप ट्रे में रखे और चल पड़ा. चाय में चीनी कम है या चाय अच्छी नही बनी इससे हीरा को कुछ लेना देना नही है. वह तो साफ़ कहता है साहब चाय में कोई शिकायत है को किचन में बात कीजिये. हमारा काम चाय देना है चाय बनाना नही. बात भी तो हीरा की ठीक है क्यूँ सुनेगा भला वो किसी की. यह काम हीरा को कोई है.

हीरा के इन्ही गुणों के कारण हम कभी कभी उसे रोबोट कहते हैं. जन्हातक मेरी समझ है रोबोट का भी काम कुछ ऐसा ही होता होगा. लेकिन नही हमारा हीरा हीरा है रोबोट नही. तुलसी बाबा के वचन हमारे हीरा पर क्या खूब बैठते हैं. -
सूधा मन, सूधे वचन, सूधी सब करतूति।
तुलसी सूधे सकल विधि रघुवर प्रेम प्रसूदि।।

तो अबसे हम हीरा को हमारा हीरा, रोबोट हीरा है कहेंगे।

2 comments:

Unknown said...

भरा संवेदन दीखता, कैसे कहं रोबोट.
हीरा है यह आदमी, ना बोलें रोबोट.
ना बोलें रोबोट, स्वयं की सीमा जाने.
अपना काम करे पूरा,आलस ना जाने.
कह साधक कवि, हम करते भावों का वेदन.
कैसे कहें रोबोट, दीखता भरा सँवेदन.

Udan Tashtari said...

कितने ही हीरा हैं सबके आसपास...आपने बखूबी अपने हीरा का परिचय दिया.

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