सत्य मार्ग पर चलते जो हैं, कष्ट उठाते रहते।
भौतिकवादी इस जीवन में, धन की हानि सहते।।
लोग आज-कल के जो हैं, आधे से ज्यादा पापी।
अच्छे-अच्छे कम दिखते हैं, बहुत अधिक अपराधी।।
सत्य अहिंसा की बाते अब फिल्मों में चलती है
गांधी जी उपदेशों की दाल कहां गलती है।
मूसा-ईशा, हजरत ने था प्यार का पाठ पढ़ाया।
आज का मानव है कहता ये समझ न मेरे आया।।
गौतम ऋषि की वानी में था हत्या पाप जीव की।
अभी देखलो इस कलयुग में बोलबाल है इसकी।।
श्रीकृष्ण ने गीता में एक कर्म का पाठ पढ़ाया।
इस युग में सब कहते रहते कर्म से पहले माया।
अब धर्म पाठ को याद कराने वाले हो गयी पापी।
राजनीति में घुस गये सारे जितने थे अपराधी।।
'शिशु' कहें एक बात हमारे समझ नहीं है आती।
सुबह, शाम या रात कभी हो हरदम यही सताती।।
कैसे हो जीवन यह अच्छा कोई हमें बताये।
इस मारा-मारी, कटुता को कैसे दूर भगायें।।
सत्य अहिंसा सीखे फिर से जीवन सफल बनायें
स्वर्ग-नर्क की बात नहीं है स्वस्थ-सुखी हो जायें।।
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