Wednesday, February 18, 2009

हँसना हितकर है बहुत, हँसों जोर से रोज

हँसना हितकर है बहुत, हँसों जोर से रोज
कैसे हँसना हो अभी, सभी लोग लो खोज
सभी लोग लो खोज और हँसते ही जाओ
नही अगर हो ऐसे हो हंसने की गोली खाओ
कह कवि 'शिशु' बात तुम मेरी मानो
हँसना है हितकर हसीं की कीमत जानो

रोना अच्छी बात ना इससे कर परहेज
कैसे भी कुछ भी करो आंसू रखो सहेज
आंसू रखो सहेज कीमती मोती ना खोना
कुछ भी हो जाए लेकिन तुम कभी ना रोना
कह कवि 'शिशु' दुआ कोई न रोये
आंसू जो मोती जैसे कोई न खोये

2 comments:

Sanjeev said...

आदमी देख कर ही इसका अभ्यास करना वरना कहीं ऐसा न हो कि डाक्टर की सेवायें लेनी

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर....सदा हंसते रहो।

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